गुरु जम्भेश्वर यूनिवर्सिटी में शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के शहादत दिवस पर PSF ने मशाल मार्च निकला

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हिसार, 20 मार्च: प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फ्रंट (PSF) ने गुरु जम्भेश्वर यूनिवर्सिटी, हिसार में शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के शहादत दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए एक पुस्तक प्रदर्शनी आयोजित की और मशाल मार्च निकाला। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के लगभग 40 से 50 छात्रों ने भाग लिया और इन महान क्रांतिकारियों के विचारों को याद किया।

कार्यक्रम का संचालन साथी मुखिया ने किया, जबकि पारुल साथी ने भगत सिंह पर एक प्रेरणादायक गीत प्रस्तुत किया और उनके विचारों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि भगत सिंह को योजनाबद्ध तरीके से हिंसा समर्थक के रूप में चित्रित किया जाता है, जबकि वे स्वयं अपने लेखों में स्पष्ट रूप से कहते हैं कि “बम और पिस्तौल से क्रांति नहीं आएगी, क्रांति की तलवार तो विचारों की शान पर तेज होती है।” इसी संदर्भ में, भगत सिंह के प्रसिद्ध लेख ‘विद्यार्थी और राजनीति’ पर भी चर्चा की गई, जिसमें वे शिक्षा के साथ सामाजिक बदलाव की आवश्यकता पर जोर देते हैं।

इस कार्यक्रम में साथी पारुल ने भगत सिंह द्वारा लिखित विभिन्न विषयों जैसे ‘अछूत समस्या’, ‘संप्रदायिक दंगे और उनका इलाज’, ‘बम का दर्शन’, ‘मैं नास्तिक क्यों हूँ’ आदि पर भी चर्चा की। इसके अलावा, उन्होंने उल्लेख किया कि 23 मार्च को क्रांतिकारी कवि अवतार सिंह संधू ‘पाश’ का भी शहादत दिवस है, जिन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से शोषणकारी सत्ता का विरोध किया। उनकी प्रसिद्ध कविता “हम लड़ेंगे साथी” का भी उल्लेख किया गया।

PSF के अध्यक्ष साथी सतीश ने भगत सिंह के विचारों की वर्तमान प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि आज की सरकारें फासीवाद को बढ़ावा दे रही हैं और हमारे अधिकारों पर हमला कर रही हैं। उन्होंने यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा विरोध प्रदर्शन पर लगाए गए प्रतिबंधों की भी आलोचना की, जिसके तहत वीसी ऑफिस के 200 मीटर के दायरे में कोई विरोध प्रदर्शन नहीं किया जा सकता।

इसके अलावा, उन्होंने NEP 2020 के तहत शिक्षा प्रणाली में किए गए बदलावों, फीस वृद्धि और मजदूरों के अधिकारों के हनन पर भी बात रखी। साथी ने बताया कि सरकार ने मजदूरों के कार्य घंटे 12 कर दिए हैं और मजदूर-विरोधी 4 लेबर कोड लागू कर दिए हैं। साथ ही, उन्होंने किसान आंदोलन पर हुए हमलों की भी निंदा की, जिसमें शंभु बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों को गिरफ्तार कर उनके तंबू उजाड़ दिए गए।

कार्यक्रम में शामिल सभी छात्रों ने एक स्वर में संकल्प लिया कि वे इस शोषणकारी व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे और भगत सिंह के सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष करेंगे।

इंकलाब जिंदाबाद! साम्राज्यवाद मुर्दाबाद!

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