महिला दिवस की पूर्व संध्या पर राजली में विचार गोष्ठी आयोजित, महिलाओं के संघर्ष और अधिकारों पर हुई चर्चा

राजली, 7 मार्च 2025अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर हरियाणा ज्ञान विज्ञान समिति के बैनर तले सावित्रीबाई फुले पुस्तकालय, राजली में महिलाओं के जीवन और संघर्षों पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में गांव की महिलाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और महिलाओं के अधिकारों पर विस्तार से चर्चा की गई।

कार्यक्रम की अध्यक्षता औमपति, रामरति और संतोष ने संयुक्त रूप से की, जबकि संचालन मैडम नरेश राजली ने किया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता जनवादी महिला समिति की जिला सचिव एवं पूर्व एमसी हिसार, मैडम बबली लांबा रहीं।

महिला दिवस के महत्व पर चर्चा

गोष्ठी में बोलते हुए बबली लांबा ने कहा कि 8 मार्च का दिन पूरी दुनिया के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह दिन महिलाओं के समान अधिकारों और संघर्षों को याद करने का अवसर देता है। उन्होंने बताया कि:

✔ 1910 में डेनमार्क के कोपेनहेगन शहर में एक महिला सम्मेलन आयोजित हुआ, जिसमें क्लारा जेटकिन और उनकी सहयोगी महिलाओं ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा
✔ 1911 में पहली बार ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में 10 लाख से अधिक लोगों ने महिला दिवस मनाया।
✔ 1975 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में आधिकारिक मान्यता दी।

उन्होंने बताया कि इस दिन को महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई के प्रतीक के रूप में देखा जाता है और महिलाओं के राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण पर बल दिया जाता है।

महिलाओं के अधिकारों पर चर्चा

गोष्ठी में वक्ताओं ने बताया कि आज भी महिलाओं के खिलाफ सामाजिक असुरक्षा, बेरोजगारी, घरेलू हिंसा और यौन उत्पीड़न जैसी चुनौतियां बनी हुई हैं।

✔ संविधान ने महिलाओं को समान अधिकार दिए हैं, लेकिन समाज में अब भी महिलाओं को उनका हक पूरी तरह नहीं मिल रहा।
✔ महिलाएं शिक्षा, विज्ञान, सेना और प्रशासनिक सेवाओं में आगे बढ़ रही हैं, लेकिन पितृसत्तात्मक मानसिकता अब भी कई बाधाएं खड़ी कर रही है।
✔ घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न और छेड़खानी की घटनाओं में कमी नहीं आई है, जो महिलाओं के लिए चिंता का विषय है।

हरियाणा में महिलाओं की स्थिति पर चिंता

हरियाणा में अब भी लिंग असमानता, दहेज प्रथा, घरेलू हिंसा और यौन शोषण की घटनाएं देखने को मिलती हैं। गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि:

✔ महिलाओं के विकास के बिना कोई समाज प्रगतिशील नहीं बन सकता।
✔ हर महिला को समान अवसर और शिक्षा मिले, तभी समाज आगे बढ़ सकता है।
✔ सरकार को महिलाओं की सुरक्षा, शिक्षा और रोजगार को प्राथमिकता देनी चाहिए।

महिलाओं के हक और सम्मान की मांग

गोष्ठी में मौजूद सभी महिलाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने महिला सशक्तिकरण के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की। वक्ताओं ने कहा कि:

  • महिलाओं के लिए समान वेतन और कार्यस्थल पर सुरक्षा सुनिश्चित की जाए
  • घरेलू हिंसा और दहेज प्रथा को खत्म करने के लिए सख्त कानून लागू किए जाएं।
  • महिला शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता दी जाए।

कार्यक्रम में शामिल प्रमुख लोग

इस कार्यक्रम में तरंग बुद्ध विहार, उकलाना, सत्यशोधक सत्संग मिशन, सद्भावना मंच बरवाला, दलित अधिकार मंच सहित कई संगठनों के प्रतिनिधि शामिल रहे।